Saturday, July 4, 2009

युगल सरकार




सम्प्रदाय शुकदेव मुनि, चरणदास गुरु द्वार।
परम धर्म भागवत मत, भक्ति अनन्य विचार॥

श्याम चरण के दास को, जपे प्रेमकर नाम।
तिनको दंपत्ति भुजन भर हंसी भेटे सुख धाम।।

अनुपम माधुरी जोरी, हमारे श्याम श्यामा की।

रसीली रसभरी अखियाँ , हमारे श्याम श्याम की॥

कटीली भोंहे अदा बांकी, सुघर सूरत मधुर बतियाँ।

लटक गर्दन की मन बसियाँ, हमारे श्याम श्यामा की ॥

मुकुट और चन्द्रिका माथे, अधर पर पान की लाली।

अहो कैसी बनी छवि है, हमारे श्याम श्यामा की॥

परस्पर मिलके जब विहरें, वो वृन्दावन के कुंजन में।

नही बरनत बने शोभा, हमारे श्याम श्यामा की॥

नही कुछ लालसा धन की, नही निर्वाण की इच्छा।

सखी श्यामा मिले सेवा, हमारे श्याम श्यामा की॥

1 comment:

  1. marvellous. It is the real truth. I bow before lord Yugal Sarkar.radhey radhey.

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